केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने हितधारकों के साथ आर्कटिक क्षेत्र में अनुसंधान, कार्य और सहयोग के लिए भारत के दृष्टिकोण और दीर्घकालिक योजनाओं को साझा किया। उन्होंने ज्ञान के विस्तार के लिए अवलोकन प्रणालियों को मजबूत बनाने और डेटा को साझा करने की दिशा में सहयोग का स्वागत किया। डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि भारत अवलोकन, अनुसंधान, क्षमता निर्माण के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से क्षेत्र के सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए आर्कटिक के संबंध में गूढ़ जानकारी को साझा करने में सकारात्मक भूमिका निभाता रहेगा। उन्होंने भारत को अगले या भविष्य के एएसएम की मेजबानी करने का अवसर दिया जाने का भी प्रस्तावित किया।
भारत ने आर्कटिक में, यथास्थान और रिमोट सेंसिंग दोनों में अवलोकन प्रणाली में योगदान करने की अपनी योजना साझा की। भारत ऊपरी महासागर कारकों और समुद्री मौसम संबंधी मापदंडों की लंबी अवधि की निगरानी के लिए आर्कटिक में खुले समुद्र में नौबंध की तैनाती करेगा। यूएसए के सहयोग से एनआईएसईआर (नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार) उपग्रह मिशन का शुभारंभ हो रहा है। एनआईएसआर का उद्देश्य उन्नत रडार इमेजिंग का उपयोग करके भूमि की सतह के परिवर्तनों के कारण और परिणामों का वैश्विक रूप से मापन करना है। सस्टेनेबल आर्कटिक ऑब्जर्वेशन नेटवर्क (एसएओएन) में भारत का योगदान जारी रहेगा।
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