प्रधानमंत्री के सम्बोधन का मूल पाठ
साथियों, अब से कुछ देर पहले जल जीवन मिशन के खूबसूरत Logo का और मिशन मार्गदर्शिका का भी विमोचन हुआ है। जल जीवन मिशन- भारत के गांवों में, हर घर तक शुद्ध जल, पाइप से पहुंचाने का ये बहुत बड़ा अभियान है।
साथियों, आज जिस पुस्तक का विमोचन हुआ है, उसमें भी विस्तार से बताया गया है कि गंगा किस तरह हमारे सांस्कृतिक वैभव, आस्था और विरासत, तीनों का ही बहुत बड़ा प्रतीक हैं। उत्तराखंड में उद्गम से लेकर पश्चिम बंगाल में गंगा सागर तक गंगा, देश की करीब-करीब आधी आबादी के जीवन को समृद्ध करती हैं। इसलिए गंगा की निर्मलता आवश्यक है, गंगा जी की अविरलता आवश्यक है। बीते दशकों में गंगा जल की स्वच्छता को लेकर बड़े-बड़े अभियान शुरू हुए थे। लेकिन उन अभियानों में न तो जन-भागीदारी थी और न ही दूरदर्शिता। नतीजा ये हुआ कि गंगा का पानी, कभी साफ ही नहीं हो पाया।
साथियों, अगर गंगा जल की स्वच्छता को लेकर वही पुराने तौर-तरीके अपनाए जाते, तो आज भी हालत उतनी ही बुरी रहती। लेकिन हम नई सोच, नई अप्रोच के साथ आगे बढ़े। हमने नमामि गंगे मिशन को सिर्फ गंगा जी की साफ-सफाई तक ही सीमित नहीं रखा, बल्कि इसे देश का सबसे बड़ा और विस्तृत नदी संरक्षण कार्यक्रम बनाया। सरकार ने चारों दिशाओं में एक साथ काम आगे बढ़ाया। पहला- गंगा जल में गंदा पानी गिरने से रोकने के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों का जाल बिछाना शुरू किया। दूसरा- सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट ऐसे बनाए, जो अगले 10-15 साल की भी जरूरतें पूरी कर सकें। तीसरा- गंगा नदी के किनारे बसे सौ बड़े शहरों और पांच हजार गांवों को खुले में शौच से मुक्त करना और चौथा- जो गंगा जी की सहायक नदियां हैं, उनमें भी प्रदूषण रोकने के लिए पूरी ताकत लगाना।
साथियों, उत्तराखंड में तो स्थिति ये थी कि गंगोत्री, बद्रीनाथ, केदारनाथ से हरिद्वार तक 130 से ज्यादा नाले गंगा जी में गिरते थे। आज इन नालों में से अधिकतर को रोक दिया गया है। इसमें ऋषिकेश से सटे 'मुनि की रेती' का चंद्रेश्वर नगर नाला भी शामिल है। इसके कारण यहां गंगाजी के दर्शन के लिए आने वाले, राफ्टिंग करने वाले, साथियों को बहुत परेशानी होती थी। आज से यहां देश का पहला चार मंजिला सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट शुरु हो चुका है। हरिद्वार में भी ऐसे 20 से ज्यादा नालों को बंद किया जा चुका है। साथियों, प्रयागराज कुंभ में गंगा जी की निर्मलता को दुनियाभर के श्रद्धालुओं ने अनुभव किया था। अब हरिद्वार कुंभ के दौरान भी पूरी दुनिया को निर्मल गंगा स्नान का अनुभव होने वाला है। और उसके लिए लगातार प्रयास चल रहे हैं।
मुझे खुशी है कि बहुत ही कम समय में जलशक्ति मंत्रालय ने तेजी से काम संभालना शुरू कर दिया। पानी से जुड़ी चुनौतियों के साथ-साथ अब ये मंत्रालय देश के गांवों में, हर घर तक जल पहुंचाने के मिशन में जुटा हुआ है। आज जल-जीवन मिशन के तहत हर दिन करीब-करीब 1 लाख परिवारों को शुद्ध पेयजल की सुविधा से जोड़ा जा रहा है। सिर्फ 1 साल में ही देश के 2 करोड़ से ज्यादा परिवारों तक पीने का पानी पहुंचाया जा चुका है। यहां उत्तराखंड में तो त्रिवेंद जी और उनकी टीम ने एक कदम आगे बढ़ते हुए सिर्फ 1 रुपए में पानी का कनेक्शन देने का बीड़ा उठाया है। मुझे खुशी है कि उत्तराखंड सरकार ने साल 2022 तक ही राज्य के हर घर तक जल पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। कोरोना के इस कालखंड में भी उत्तराखंड में बीते 4-5 महीने में 50 हज़ार से अधिक परिवारों को पानी के कनेक्शन दिए जा चुके हैं। ये उत्तराखंड सरकार की प्रतिबद्धता को दिखाता है, कमिटमेंट को दिखाता है।
साथियों, नमामि गंगे अभियान हो, जल जीवन मिशन हो, स्वच्छ भारत अभियान हो, ऐसे अनेक कार्यक्रम बीते 6 सालों के बड़े रिफॉर्म्स का हिस्सा हैं। ये ऐसे रिफॉर्म हैं, जो सामान्य जन के जीवन में, सामाजिक व्यवस्था में हमेशा के लिए सार्थक बदलाव लाने में मददगार हैं। बीते एक-डेढ़ साल में तो इसमें और ज्यादा तेजी आई है। अभी जो संसद का सत्र खत्म हुआ है, इसमें देश की किसानों, श्रमिकों और देश के स्वास्थ्य से जुड़े बड़े सुधार किए गए हैं। इन सुधारों से देश का श्रमिक सशक्त होगा, देश का नौजवान सशक्त होगा, देश की महिलाएं सशक्त होंगी, देश का किसान सशक्त होगा। लेकिन आज देश देख रहा है कि कैसे कुछ लोग सिर्फ विरोध के लिए विरोध कर रहे हैं।
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