श्रम एवं रोजगार मंत्रालय में संसद में कुछ दिन पहले पारित किए गए ऐतिहासिक परिवर्तनकारी सुधारों के बारे में व्याप्त चिंताओं और शंकाओं का निवारण कर दिया है। केन्द्रीय श्रम मंत्री ने कहा कि जितनी भी आलोचना की जा रही हैं वह सब गलत हैं। कामबंदी के लिए लघु इकाइयों में कर्मचारियों की न्यूनतम सीमा को 300 किए जाने के संबंध में स्पष्टीकरण देते हुए मंत्रालय ने यह रेखांकित किया है कि संसदीय स्थायी समिति से संबंधित विभाग ने छंटनी, कामबंदी तथा बंदी के लिए कामगारों की अवसीमा को 100 से बढ़ाकर 300 करने की सिफारिश की थी।
यह समुचित सरकार से पूर्वानुमति लेने का एकमात्र पहलु है जिसे अब दूर कर दिया गया है और अन्य लाभ तथा कामगारों के अधिकारों को संरक्षित किया गया है। कामगारों के अधिकार तथा छंटनी से पूर्व नोटिस, सेवा के प्रत्येक पूरे किए गए वर्ष के लिए 15 दिनों के वेतन की दर से प्रतिपूर्ति तथा नोटिस अवधि के बदले में वेतन देने के बारे में कोई समझौता नहीं किया गया है। इसके अलावा, औद्योगिक संबंध संहिता में नवसृजित पुनर्कौशल निधि के अंतर्गत 15 दिनों के वेतन के समान अतिरिक्त आर्थिक लाभ की संकल्पना की गई है। ऐसा कोई व्यावहारिक दृष्टांत नहीं है जो यह दर्शाए कि उच्चतम अवसीमा हायर एवं फायर का संवर्धन करती है।
केन्द्रीय श्रम मंत्रालय ने यह भी कहा कि नियत कालिक कर्मचारी को नियमित कर्मचारी के समतुल्य सभी लाभों और सेवा शर्तों का कानूनन पात्र बनाया गया है। वास्तव में औद्योगिक संबंध संहिता एफटीई ठेके के लिए भी उपदान का प्रो-राटा आधार पर लाभ प्रदान करती है जो नियमित कर्मचारी के मामले में पांच वर्ष है।
मंत्रालय ने यह भी कहा कि ओएसएच संहिता के तहत नए कल्याणकारी प्रावधान पेश किए गए हैं:
- जोखिमपूर्ण और खतरनाक व्यवसाय चलाने वाले प्रतिष्ठान के लिए, सरकार अवसीमा से कम कामगार रखने वाले प्रतिष्ठानों पर भी कवरेज को अधिसूचित कर सकती है।
- ईएसआईसी का विस्तार बागान कामगारों तक कर दिया गया है।
- नियुक्ति पत्र अनिवार्य कर दिया गया है।
- नि:शुल्क वार्षिक स्वास्थ्य चेकअप आरम्भ किया गया है।
- जोखिमकारी फैक्ट्रियों के स्थान पर फैक्ट्री, खानों और बागानों में प्रतिष्ठानों के लिए द्विपक्षीय सुरक्षा समिति शुरू की गई है।
- कीटनाशकों का प्रयोग कर रहे बागान कामगारों की गतिविधियों को जोखिमकारी गतिविधियों में शामिल किया गया है।
- अंतर-राज्यीय प्रवासी कामगार से संबंधित प्रावधानों को सुदृढ़ बनाना और गृह नगर जाने हेतु वार्षिक यात्रा भत्ता के प्रावधान को शामिल करना।
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