स्टांप ड्यूटी की संरचनाओं को तर्कसंगत बनाने के लिए उपर्युक्त संशोधन अन्य बातों के अलावा निम्नलिखित ढांचागत सुधार प्रदान करते हैं:
- प्रतिभूतियों की बिक्री, हस्तांतरण और जारी करने पर स्टांप ड्यूटी राज्य सरकार की ओर से ‘संग्रह एजेंटों’ द्वारा एकत्र की जाएगी, जो बाद में एकत्रित स्टांप ड्यूटी को संबंधित राज्य सरकार के खाते में हस्तांतरित कर देंगे।
- बार-बार कराधान से बचने के लिए किसी सौदे से जुड़े सौदे के ऐसे किसी भी द्वितीयक रिकॉर्ड पर राज्यों द्वारा कोई स्टांप ड्यूटी नहीं ली जाएगी, जिस पर स्टांप ड्यूटी लेने के लिए डिपॉजिटरी/स्टॉक एक्सचेंज को अधिकृत किया गया है।
- मौजूदा प्रणाली में स्टांप ड्यूटी विक्रेता और क्रेता दोनों ही द्वारा देय है, जबकि नई प्रणाली में इसे केवल एक पर ही लगाया जाता है (या तो क्रेता द्वारा या विक्रेता द्वारा, लेकिन दोनों के द्वारा देय नहीं, एक्सचेंज के कुछ प्रपत्र के मामले को छोड़कर जिसमें स्टांप ड्यूटी दोनों ही पक्षों द्वारा समान अनुपात में वहन की जाएगी)।
- संग्रह एजेंट या तो स्टॉक एक्सचेंज या अधिकृत क्लियरिंग कॉर्पोरेशन और डिपॉजिटरी होंगे।
- प्रतिभूतियों में सभी एक्सचेंज आधारित द्वितीयक बाजार सौदों के लिए स्टॉक एक्सचेंज स्टांप ड्यूटी का संग्रह करेंगे; और ऑफ-मार्केट सौदों (जो किसी तय धनराशि पर किए जाते हैं जिनका खुलासा सौदा करने वालों द्वारा किया जाता है) तथा डिमैट प्रारूप में प्रतिभूतियों के आरंभिक निर्गम के लिए डिपॉजिटरी स्टांप ड्यूटी का संग्रह करेंगी।
- यह माना जाता था कि प्रतिभूतियों में डिलीवरी आधारित सौदे होने के नाते म्यूचुअल फंडों को विभिन्न राज्य अधिनियमों के अनुसार स्टांप ड्यूटी का भुगतान करना चाहिए। अत: सभी म्यूचुअल फंड सौदों पर स्टांप ड्यूटी देनी होगी। नई प्रणाली ने तो केवल सभी राज्यों में शुल्क के साथ-साथ स्टांप ड्यूटी के संग्रह के तरीके को मानकीकृत किया है।
Source-pib.gov.in (रिलीज़ आईडी: 1635563)
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