कौन कहता है कि तू बुझदिल है,
तू तो इस देश का नागरिक है।
तू ही देश की सेना है, बैठ जा घर में अपने,
तुझे बस यही योगदान देना है।।
जीतेंगे हम कोरोना को हरायेंगे,
साथ खेलेंगे होली और ।
ईद, क्रिसमस बैशाखी मनायेंगे,
बनाकर शारीरिक सामाजिक दूरी।।
सुरक्षा और मोहब्बत की मिशाल रखना,
सींचकर त्याग के जल से अपने।
घर - समाज की बगिया को,
है हमें आबाद रखना।।
झुकना नहीं है, डरना नहीं है,
अब कोरोना की वार से।
जीत हासिल होगी अपनी,
बस थोड़े से धैर्य इंतज़ार से।।
लेखक:
नाम - संजीव कुमार
पता - दिल्ली
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