एक आम आदमी का यही सवाल है, आज भारत की सरकार से।
आखिर कोरोना को देश में आने का, इंतज़ार क्यों किया गया।।
जब विदेशो में कोरोना फैल रहा था तभी से हमारी सरकारों ने इसपे कड़े कदम क्यों नहीं उठाया ? अगर सरकार चाहती तो इसको देश के बाहर ही लॉक-डाउन किया जा सकता था पर ऐसा नहीं किया गया, कोरोना को देश में बुलावा दिया गया और पूरे देश को एक त्राशदी की ओर धकेला गया। सरकारों के पास बहुत बुद्धिजीवी है फिर भी उन्होंने बाहर से आने वाले कोरोना को बाहर ही कोरेन्टाइन क्यों नहीं किया, आखिर किस बात का डर था उनको। शायद कुछ वीआईपी लोगो की परवाह में सरकार ने 130 करोड़ जनता को जोखिम में डाल दिया। अगर सरकार चीन के हालात को देख कर सही समय पर सही कदम उठा लेती तो आज हमारे देश में लॉक-डाउन की जरुरत नहीं होती। आम इंसान परेशान न होता, दर-बदर नहीं भटकता। उसे इतनी फ़िक्र करने की जरुरत भी न होती। हमारे देश में रोज़ाना लगभग 50 हजार लोग फ्लाइट से ट्रेवल करते है अगर हमारी सरकार चाहती तो उन वीआईपी और अमीर लोगो को जो बाहर (फॉरेन) से आये थे, 14 दिन के लिए सख्ती से कोरेन्टाइन करके ही उनके घर जाने देती तो आज पूरे देश को कोरेन्टाइन नहीं करना होता। आज हमारे देश की इकनोमिक ग्रोथ नहीं रूकती और शायद इतना पैसा भी नहीं लगता, उनलोगों को कोरेन्टाइन करने और उनके इलाज़ में।
बस इतना और कहूंगा "दोष अमीरो का था जनाब जो देश छोर गए थे और सजा उनलोगों को हुयी जो देश को बनाते रहें"। अपनों से दूर रहें पर देश की मिटटी नहीं छोड़ी, आज उसी देश की सरकारों ने बर्बादी की ओर धकेल दिया बेचारे गरीब मजदूरों को।
नाम : धर्मेंद्र गुप्ता
पता : दिल्ली
ईमेल : dharmendrash@rocketmail.com
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