मस्जिद कुवत-उल-इस्लाम' के प्रांगण में प्रशिद्ध एवं आश्चर्यजनक लोहे की लाट खड़ी है। यह दिल्ली के प्राचीन इतिहास का एक अभिन्न अंग है। लिपि की रचना से यह ज्ञात होता है की यह लोहे की लाट चौथी शताब्दी यानि गुप्त शासनकाल की है।
लोहे की लाट की लम्बाई मीटर है जिसका 93 सेमी भाग जमीन के नीचे गड़ा हुआ है। नीचे की सतह पर इसे एक लट्टू का रूप दिया गया है जो सलाखों से जुड़ी है। यह शुद्ध लोहे का बना हुआ है। यह लगभग सोलह सौ वर्षो से यहाँ खड़ा है। इतना पुराना होने पर भी इस पर अभी तक जंग नहीं लगा है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इतने सालों बाद भी इस पर धूप और वर्षा का प्रभाव नहीं दिखाई देता।
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