माँ मैं कुछ कहना चाहता हूँ,
आपके कदमो में रहना चाहता हूँ ।
मंदिर मेरी आप हो,
आप ही हो पूजा ।
आपसे बढ़कर दुनिया में,
कोई न मेरा दूजा ॥
ऊँगली पकड़कर चलना सिखाया आपने,
गिरकर-उठना, उठकर-संभलना सिखाया आपने ।
वो सर्द हवाएं कैसे भूलू,
खुदको भूलकर आँचल में छुपाया आपने ॥
वो आपका गुस्सा करना,
दौड़कर मुझे पकड़ना ।
जब गिर पड़ा मैं औंधे मुँह,
उठाकर गले लगाया आपने ॥
माँ मैं कुछ कहना चाहता हूँ,
आपके कदमो में रहना चाहता हूँ ॥
Author:
Name - Sanjeev Kumar
Email - www.sanjeevsuman@gmail.com
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