आशिक़ था मैं पागल था,
उनकी नजरो से घायल था ।
पर एक ही झटके में सब बदल गयी,
वो मुझे छोड़ किसी और के संग चली गयी ॥
भुलाना तो चाहता हूँ पर,
याद उसी की आती हैं ।
दिन तो कट जाता हैं पर,
रातों को नींद नहीं आती है ॥
स्मृति तुम्हे भुलाने के लिए,
मैंने पीना सीख लिया ।
तुझे तो न भूल पाया,
पर अकेला जीना सीख लिया ॥
नयी जिंदगी हो मुबारक तुम्हे,
न कोई गम मिले ।
तुम्हें खुशियाँ मिले अपार,
मुझे मेरा कम मिले ॥
प्यार के लिए जी नहीं पाया,
अब मरना चाहता हूँ ।
कर दी तूने बेवफाई,
पर तेरे दुपट्टे का कफ़न चाहता हूँ ॥
नाम - संजीव कुमार
पता - दिल्ली
Very nice
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