गर्व है मुझे अपने देश पर
दुनिया के मानचित्र पर अनोखी हो
पर भूख से तड़प रहा हूँ बरसो से
जुमला नहीं विकास का
अब मुझे रोटी दो ।
टूट गए है सपने मेरे
बिखर गए है आशाएं
मर न जाऊ भूख से मैं
अब मुझे रोटी दो ।
खत्म हो रही नौकरियाँ
अधर में है जिंदगी
नहीं चाहिए रकम मोटी
अब मुझे रोटी दो ।
अच्छे दिन के चाह ने
वो दिन भी गवाँ बैठे
दे दिया हाथो में कटोरी
अब मुझे रोटी दो ।
Author:
Name - Sanjeev Kumar
Email - www.sanjeevsuman@gmail.com
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